पहले की बनी करोडों की योजना को उखाड़ फेका
वो करोंडो की योजना हो गई कौडी की
बिलासपुर – सिंचाई विभाग योजनाएं बना कर करोडों रूपये खर्च तो कर देता है लेकिन कुछ समय बाद वही योजना कौडी भर की हो जाती है जिसमें विभाग फिर से करोडों खर्च कर देता है ।
मतलब भ्रष्टाचार का खेल कैसे और किस तरह खेला जाता है ये सिंचाई विभाग की योजनाओ को देखकर समझा जा सकता है ।
जल संसाधन संभाग पेंड्रा डिवीजन के अंतर्गत केंदा व्यपवर्तन योजना में लगभग दस वर्ष पूर्व करोडों की लागत से 1200 एम एम के ह्यूम पाईप के द्वारा नहर का निर्माण कराया गया था जिससे इस योजना का लाभ आसपास के किसानों को मिल सके लेकिन ऐसा नही हुआ यह करोडों की योजना सिंचाई विभाग के जिम्मेदार अधिकारीयों की लापरवाही की भेंट चढ गई । जिससे करोडों की योजना कौडी भर की हो गई जिस उद्देश्य से यह योजना शुरू हुई थी वो फ्लाप रही उसमें किसानों को पानी नसीब नही हुआ । ह्यूम पाईप ब्लाक हो गई उसमें पानी का रिसाव होने लगा जिसके बाद इस फ्लाप योजना में लीपापोती कर इसे डिस्मेंटल कर दिया गया और करोडों का नया टेंडर सुदुढीकरण के नाम से लगा कर प्रोटेक्शन बनाया गया है वो भी अधर में है उसमें भी रिसाव होने लगा है । जिसके कारण अब विभाग और जिम्मेदार अधिकारीयों पर कई सवाल उठ रहे है ।
कार्यपालन अभियंता जलसंसाधन संभाग पेंड्रारोड के
अधिकारीयों नें केंदा व्यपवर्तन योजना के मुख्य नहर आर.डी. 0 मीटर से आर.डी.500 मीटर में सुदुढीकरण व मिट्टी कार्य , बैक प्रोटेक्शन का कार्य अपस्ट्रीम एवं डाउनस्ट्रीम एवं मुख्य नहर के 08 पक्के वाल का निर्माण जिसकी लागत 190.07 लाख का टेंडर लगाया जिसका टीएस सीई नें किया है । जबकि इस योजना में पहले करोडों रूपये विभाग नें खर्च किये तो उसका क्या मतलब निकला ये गौर करने का विषय है एक ही योजना में पुन: करोडों खर्च करना ये शासकीय धन का दुरूपयोग किया जा रहा है ।
पूर्व में ह्यूम पाईप की योजना को डिस्मेंटल कर दिया गया और वर्तमान में एक करोड नब्बे लाख खर्च कर चैनल तैयार किया गया है वो भी लिकेजिंग समस्या से जूझ रहा है ।
अब सवाल यह उठता है कि पूर्व की ह्यूम पाईप योजना को डिस्मोंटल करने की अनुमति ली गई की नही । पहले ठेकेदार नें जो काम किया वो सही था या गलत जिसे उखाड़कर पुन: करोडों खर्च किया गया इसके लिए जिम्मेदार कौन ?