राजस्व विभाग में चल रहा नामान्तरण निरस्त/ नामान्तरण की आवश्यकता नही करने का खेल
@ बिलासपुर – शासन द्वारा जनता को सुविधा प्रदान करने के लिए खरीदी गई भूमि का स्टाम्प प्रतिलिपि (पीडीएफ) पटवारी एवं तहसीलदार के भुइँया आई डी में जाता है जिसमे पटवारी मौका एवं अभिलेख अनुसार ऑनलाइन प्रवेदन प्रस्तुत करता है, तहसीलदार प्रतिवेदन अनुसार कार्यवाही कर अभिलेख दुरुस्ती हेतु अंतिम आदेश पारित करते है। आदेश उपरांत प्रकरण अभिलेख दुरुस्ती हेतु पटवारी के भुइयां आईडी में उपलब्ध होने पर पटवारी अभिलेख दुरुस्त करते है। आवेदक, अनावेदक की अनुपस्थिति में भी अविवादित प्रकरण में आदेश एवं दुरुस्ती करने का निर्देश शासन से दिया गया है।
किसी प्रकार का आपत्ति/ विवाद प्राप्त होने पर प्रकरण को ई कोर्ट में लेकर प्रकरण का निराकरण करने प्रावधान भी ऑनलाइन आईडी में दिया गया है। किंतु इसके इतर अनेक तहसीलदारों के द्वारा तय दिनांक में आदेश पारित नही किया जाता एवं खरीदी के अलावा फौती, बंटवारा जैसे प्रकरणों में तहसीलदारों के द्वारा नामान्तरण खारिज या नामान्तरण की आवश्यकता नही किया जाता है। जिसे किसान भटकने को मजबूर हो जाते हैं।
शासन के मंशानुरूप किसान के मामलों का जल्द निपटारा नही होता। उल्टा नामान्तरण खारिज हो जाने पर नामान्तरण के लिए पुनः तहसील में उपस्थित होकर आवेदन देना पड़ता है, कई पेशी भटकने के बाद मंशानुरूप चढ़ावा के बाद अंतिम आदेश होने पर किसानों का अभिलेख दुरुस्त किया जाता है। शासन से किसानों को सुविधा के नाम पर दुविधा मिल रहा है, उम्मीद है नई BJP की सरकार इस कुप्रथा की ओर जल्द ध्यान देंगे एवं इस व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने का कार्य करेंगे।