गणगौर त्यौहार भगवान शिव और देवी पार्वती के प्रेम और विवाह को समर्पित है।
kuldeep sharma कोटा – हिन्दू धर्म में गणगौर त्यौहार का विशेष महत्व है हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की तृतिया तिथी को गणगौर तीज मनाते है l
गणगौर एक ऐसा त्यौहार है जिसे अग्रवाल समाज की लड़की हो या महिला हर कोई मनाता है। त्योहार के दौरान अविवाहित लड़कियां और विवाहित महिलाएं दोनों ही पूरे रीति-रिवाजों और रीति-रिवाजों के साथ भगवान शिव और माता पार्वती के एक रूप गणगौर की पूजा करती हैं।इस पूजा में पांच मूर्तियां की पूजा की जाती है गणगौर माता ईसर कनीराम रोवा बाई सोवा बाई की पूजा की जाती है ।अग्रवाल समाज की महिलाओं के द्वारा गणगौर की पूजन 16 दिन कर विसर्जन स्थानीय बंधवा तलाव में किया गया यह परंपरा राजस्थान की वर्षों पुरानी चली आ रही है जिसमें होली के दूसरे दिन से जिस कन्या का विवाह होली के पहले हुआ होता है वह कन्या अपने मायके में कुंवारी कन्याओं के साथ गणगौर की पूजा विधि विधान से करती हैं होली के दूसरे दिन से पूजा प्रारंभ होकर चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन सुबह से पूजन किया जाता है उसी दिन शाम को गणगौर माता पूजन कर विसर्जन गाजा बाजा मारवाड़ी गीतों के साथ हर्षोल्लास के साथ गणगौर का त्यौहार मनाया जाता है एवं गणगौर माता का विसर्जन किया जाता है