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पंचायत में ट्रांसफर के बाद भी स्पेसीमेन नहीं ,, पुराने सचिव ही निकालते हैं पैसे ।

माह भर हो रहे जांच को,, जिसमें शिकायत सहीं पाई गई लेकिन सीईओ नें नही दिया ध्यान

भ्रष्टाचार का गढ़ बना कोटा जनपद

शिकायत के बाद भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं

kuldeep sharma करगीरोड – कोटा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली बहुत सी पंचायतों में भ्रष्टाचार का खेल खुले रूप से चल रहा है ये ऐसा खेल है जिसकी लत सभी को लग चुकी है फिर चाहे वो पंचायत का सरपंच हो ,सचिव हो ,जनपद के बाबू हों या फिर जनपद के अधिकारी । जनपद पंचायत कोटा में सचिवों का स्थानान्तरण तो होता है लेकिन नए सचिव को पुराने सचिव प्रभार ही नहीं देते और स्थानान्तरण के बाद भी धड़ल्ले से डीएससी करवाने के साथ ही बैंक से पैसे आहरण करते रहते हैं । अब स्थानान्तरण के बाद कैसे पुराना सचिव सरपंच के साथ मिलकर पैसे का आहरण करते रहता है पता नहीं । आने वाले दिनों में भ्रष्टाचार के मामले में कोटा जनपद की और भी कईं पंचायतों की खुलेगी पोल..

छेरकाबांधा पंचायत के ग्रामीणों नें सीईओ से की थी शिकायत

कोटा जनपद पंचायत के छेरकाबांधा ग्राम पंचायत से मामले सामने आया है । जनपद पंचायत कोटा के द्वारा 15 मार्च 2024 को यहां के सचिव कुलेश्वर राज का ट्रांसफर दुसरी पंचायत में कर दिया गया था और उनकी जगह नई सचिव राजकुमारी भानू को यहां पदस्थ किया गया था । स्थानान्तरण के बाद कुलेश्वर राज ने यहां का प्रभार तो नए सचिव राजकुमारी भानू को दे दिया लेकिन बैंक का स्पेसीमेन पिछले चार माह से नहीं हो पाया और इस बीच कुलेश्वर राज ने नियम विरूद्ध गलत तरीके से सरपंच के साथ मिलकर पंचायत की राशि का आहरण करते रहा । जबकि स्थानान्तरण के बाद नए सचिव का सरपंच के साथ बैंक में स्पेसीमेन होता है जिसका बकायदा लेटर जनपद सीईओ की तरफ से निकलता है ।

चार माह बाद भी नए सचिव का बैंंक खाते में स्पेसीमेन ना होने और पुराने सचिव के द्वारा राशि आहरण करने की शिकायत एक माह पूर्व गांव के पंच और ग्रामीणों ने जनपद सीईओ से की लेकिन उसके बाद भी इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई I

जबकि जनपद के वरिष्ठ करारोपण अधिकारी नें मामले की जांच की तो सही पाया गया है उन्होनें इसकी विधिवत जानकारी जनपद में दे दी है l

इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या जनपद के अधिकारियों और बाबूओं को पता नहीं रहता कि पंचायत में कौन सचिव है और किसके डीएससी से पैसे आहरण होना है ? क्या जनपद पंचायत के अधिकारियों को समय से स्पेसीमेन नहीं करवाना चाहिए ?

कोटा जनपद के वरिष्ठ करारोपण अधिकारी जागेश्वर चतुर्वेदानी जिन्होनें जांच की है उनसे जानकारी ली गई तो उन्होनें बताया – शिकायक के बाद जांच की गई थी जो सही पाया गया चार्ज देने के बाद भी राशि आहरण की गई है प्रतिवेदन बना कर पंद्रह दिन पहले ही जनपद में जमा कर दिया हूं l आगे अधिकारी उसमें कार्यवाही करेंगे l

इस पूरे मामले में कोटा एसडीएम यू .के.उर्वशा का कहना था – ये गंभीर मामला है और मैं इसे दिखवाता हूं यदि सही तो कार्यवाही की जाएगी ।

बहरहाल ये पूरा मामला भ्रष्टाचार का है जो जांच में सही पाया गया है अब इस पर क्या कार्यवाही होती है ये देखना होगा या फिर मामला ठंडे बस्ते में डालकर सरपंच सचिवों के हौंसले बुलंद होने उन्हे खुली छुट दे दी जाएगी l

SURAJ GUPTA

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